ट्राइबल कॉलम की मांग को लेकर आदिवासियों ने किया जंतर मंतर में धरना प्रदर्शन

नई दिल्ली ( डी.के.चौहान) अपनी धार्मिक पहचान की मांग को लेकर आदिवासी समाज के लोग कई दशकों से संघर्ष करते आ रहे हैं। अपने संघर्ष के बल पर राज्य सरकार से सरना आदिवासी धर्मकोड का प्रस्ताव पास करा लिया परन्तु अभी संसद में इसको लाना बाकि हैं। राज्य सरकार ने जैसे ही आदिवासी समाज की मांग पर पहल की इनकी लड़ाई केंद्र सरकार से होगी ।

इस मौके पर राष्ट्रीय आदिवासी इंडिजिनियस धर्म समन्वय समिति भारत के मुख्य संयोजक अरविन्द उरांव ने कहा कि आदिवासी कॉलम को लागू करने के लिए वर्षों से आंदोलनरत हैं । उन्होंने कहा कि आदिवासी धर्म कोड लागू होने तक आंदोलन चलता रहेगा। इस कोड केे लागू होने से 15 करोड़ आदिवासियों को धार्मिक पहचान मिलेगी। आदिवासियों का आदिवासी कॉलम नहीं होने के कारण उन्हें अन्य धर्मों के कॉलम में डालकर राष्ट्रीय स्तर पर धर्मांतरण कराया जा रहा है।

इस मौके पर नीतिसा खालखो ने कहा कि, ” आदिवासी जनजातियों के लिए आठवीं अनुसूची में कुड़ुख, मुंडारी, हो एवं गोंडी भाषा को शामिल करना होगा। उन्होंने कहा कि इससे जनजाति के लोगों में जागरूकता के साथ साथ शिक्षा का बयार बहेगी।

धरना प्रदर्शन के पश्चात देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केंद्रीय गृहमंत्री, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग, भारत के जनगणना महारजिस्ट्रार को ज्ञापन सौंपा गया। धरना प्रदर्शन कार्यक्रम में मुख्य रूप से राष्ट्रीय आदिवासी इंडीजीनस धर्म समन्वय समिति भारत के राष्ट्रीय सह संयोजक राजकुमार कुंजाम, डॉ हीरा मीणा, निरंजना हेरेंज, धीरज भगत, तेज कुमार टोप्पो, प्रहलाद सिडाम, नारायण मरकाम, एनआर हुआर्या, गेंदशाह उयके, अरविंद शाह मंडावी, राजकुमार अरमो, सुखु सिंह मरावी, दर्शन गंझू, भरत लाल कोराम, भीम आर्मी के संदीप कुमार, बिगु उरांव, विकास मिंज, रंजीत लकड़ा, अनिल उरांव, नारायण उरांव सहित देश के विभिन्न राज्यों से पहुंचे प्रबुद्धजन शामिल हुए।

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