छठी अनुसूची में राभा हासोंग स्वायित्व परिषद् को शामिल करने हेतु राभा समुदाय के संगठनों ने जंतर मंतर पर विशाल विरोध प्रदर्शन किया
नई दिल्ली (डी. के. चौहान ) निखिल राभा छात्र संस्था, निखिल राभा महिला परिषद और छठी अनुसूची मांग समिति ने राभा स्वायत्त परिषद के सहयोग से नई दिल्ली के जंतर-मंतर पर एक विशाल विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया। विरोध प्रदर्शन में राभा हसोंग संयुक्त संघर्ष समिति के नेतृत्व ने भाग लिया, जो परिषद क्षेत्र में विभिन्न जातीय समूहों का एक साझा मंच है।
विरोध मुख्य रूप से पांच मांगों को लेकर है, जिनमें राभा हासोंग स्वायत्त परिषद को भारत के संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करना, राभा हासोंग के बाहर रहने वाले असम के राभाओं के लिए नई शिक्षा नीति परिचय के आधार पर प्राथमिक विकास परिषद का गठन करना शामिल है। राभा माध्यम के स्तर पर, मेघालय और पश्चिम बंगाल में रहने वाले लोगों के लिए राजनीतिक प्रावधान सुनिश्चित करना और असम में वन अधिनियम 2006 का प्रभावी और शीघ्र कार्यान्वयन।
प्रदर्शनकारियों ने राभा हासोंग स्वायत्त परिषद को छठी अनुसूची में शामिल करने और राभा और अन्य आदिवासी भाषाओं और स्वदेशी लोगों की भाषा, संस्कृति और भूमि अधिकारों की सुरक्षा की मांग की।
राभा हासोंग स्वायत्त परिषद के मुख्य कार्यकारी सदस्य टंकेश्वर राभा ने चेतावनी दी कि यदि 2026 से पहले राभा हासोंग स्वायत्त परिषद को छठी अनुसूची में शामिल नहीं किया गया, तो इसका जवाब राजनीतिक रूप से दिया जाएगा। प्रदर्शनकारियों ने असम सरकार से समय रहते केंद्र सरकार से बातचीत का माहौल बनाने का आह्वान किया। राभा हासोंग का संघर्ष आदिवासियों और मूल निवासियों के अस्तित्व के लिए संघर्ष है, भूमि अधिकारों के लिए संघर्ष है। इसलिए इस संघर्ष को राजनीतिक नजरिये से नहीं बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक नजरिये से देखना जरूरी है।