धुमकुड़िया आदिवासियों का एक बेहतरीन शिक्षा का केन्द्र है : रामचन्द्र उरांव
लोहरदगा (बबलू उरांव) किस्को प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत मेरले गांव में स्थित बुधू वीर लूरकुड़िया में नौंर पूंप ट्रस्ट के बैनर तले दो दिवसीय धुमकुड़िया प्रशिक्षण कार्यशाला सम्पन्न हुआ। द्वितीय दिन प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथि के रूप में शामिल हुए शिक्षाविदों ने विधिवत रूप से किया। सर्वप्रथम बुधू वीर लूरकुड़िया संचालक संजीव भगत ने प्रशिक्षण कार्यशाला का विषय वस्तु पर प्रकाश डाला। मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित लाॅ काॅलेज के असिस्टेंट प्रोफेसर रामचन्द्र उरांव ने आत्मकथा के माध्यम से लोगों को जीवन जीने का तरीका से अवगत कराते हुए लोगों में सामाजिक चेतना जगाया। उन्होंने कहा कि उस विद्या का क्या महत्व जो हम अपने समाज के उत्थान में ना लगा पाएं, इसलिए धुमकुड़िया के माध्यम से लोगों में जागृति उत्पन्न करा रहे है। धुमकुड़िया आदिवासियों का एक बेहतरीन शिक्षा का केन्द्र है जो लगभग विलुप्त होने के कगार पर है, इसलिए इसे बचाए रखना हम सभी का कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि धुमकुड़िया व लूरकुड़िया आदिवासी युवाओं को अपने जीवन जीने का सफल केन्द्र है। इस अवसर पर सामाजिक कार्यकर्ता अरविंद उरांव ने कहा कि हमारा धर्म संस्कृति व शादी विवाह का संचालन कस्टमरी लाॅ के हिसाब से चलता है। आदिवासी सरना समाज का यदि उत्थान चाहिए तो शिक्षा ही एक ऐसा माध्यम से जिसके माध्यम से विलुप्त हो रही अपनी सभ्यता और संस्कृति के साथ साथ समाज को नई दिशा दे सकते हैं। कार्यशाला के उपरांत ट्रस्ट के माध्यम से बच्चों के बीच पुस्तक, काॅपी, पेन सहित अन्य पठन पाठन सामग्री का वितरण किया गया। कार्यशाला को संत फ्रांसिस्को ग्लोबल एकेडमी डकरा की प्रिंसिपल सरिता उरांव, रांची विश्वविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर प्रतिक उरांव, सुधीर उरांव, रवि तिर्की, वकील सुरजदेव मुंडा, उप मुखिया मनोज उरांव, ब्रजकिशोर बेदिया ने भी धुमकुड़िया के उन्नति व उत्थान पर प्रकाश डाला। मौके पर बुधू वीर लूरकुड़िया के शिक्षक शिक्षिकाएं व प्रशिक्षणार्थी मौजूद थे।