बीटीएडी अब बोडोलैंड टेरीटोरियल रीजन के नाम से जाना जायगा
डी.के.चौहान
नई दिल्ली : असम में पिछले लंबे समय से जारी बोडो प्रतिबंधित संगठन एनडीएफबी का संघर्ष अब थम गया है। सोमवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में बोडो प्रतिबंधित संगठन एनडीएफबी का केंद्र-असम सरकार के साथ समझौता में हस्ताक्षर किये। इसी के साथ एनडीएफबी ने हिंसा का रास्ता छोड़ने की बात की है. केंद्र सरकार और बोडो प्रतिबंधित संगठन और बोडो छात्र संगठन आबसु के साथ यह समझौता हुआ हैं ।
इस समझौते के बाद भारत सरकार को उम्मीद है कि एक संवाद और शांति प्रकिया के तहत उग्रवादियों का मुख्य धारा में शामिल करने का सिलसिला शुरू होगा। पिछले एक महीने में पूर्वोत्तर समस्या से जुड़े तीन बड़े और ऐतिहासिक समझौते भारत सरकार ने किए हैं। इसमें त्रिपुरा में 80 सशस्त्र आतंकियों का समर्पण, मिजोरम-त्रिपुरा के बीच ब्रू रियांग शरणार्थियों को स्थायी निवास देना और अब बोडो शांति समझौता होना शामिल है।
इस समझौते के तहत इस गुट के सदस्यों को आर्थिक मदद भी सरकार की तरफ से मुहैया करवाई जाएगी, इसकी मांग ये गुट पिछले कई दिनों से कर रहा था। यह समझौता मुख्य रूप से चार पक्षों के बीच हुआ है, जिसमें केंद्र सरकार, असम सरकार , नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड और बोडो छात्र संगठन आबसु शामिल हैं। इस समझौते से पहले भारत सरकार ने ये साफ किया है कि असम की एकता बरकरार रहेगी और उसकी सीमाओं में कोई बदलाव नहीं होगा। यह समझौता भारतीय संविधान के दायरे में होगा।
ज्ञात हो कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में सोमवार को इस समझौते पर हस्ताक्षर हुए। यहां अमित शाह ने कहा कि आज भारत सरकार, असम सरकार और बोडो संगठन के चार समूहों के बीच समझौता हुआ है, ये सुनहरे भविष्य का दस्तावेज है. इस दौरान असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल, असम के शिक्षामंत्री डॉ हिमंता बिस्वशर्मा समेत पूर्वोत्तर के अन्य बोडो नेता शामिल हुए।
इस मौके पर गृहमंत्री ने ऐलान किया कि उग्रवादी गुट नैशनल डेमोक्रैटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड के 1550 कैडर 30 जनवरी को अपने 130 हथियार सौंप देंगे और आत्मसमर्पण कर देंगे। शाह ने कहा कि इस समझौते के बाद अब असम और बोडो के लोगों का स्वर्णिम भविष्य सुनिश्चित होगा। उन्होंने आश्वासन दिया कि केंद्र सरकार बोडो लोगों से किए गए अपने सभी वादों को समयबद्ध तरीके से पूरा करेगी। उन्होंने कहा कि इस समझौते के बाद अब कोई अलग राज्य नहीं बनाया जाएगा।
सरकार की ओर से बोडो गुटों की मांग को मानते हुए एक अलग यूनिवर्सिटी, कुछ राजनीतिक आधार, बोडो भाषा के विस्तार पर विस्तार किया जा सकता है। इस दौरान एनडीएफबी संगठन के रंजन दैमिरी, गोविंदा बसुमतारी, धीरेन बोडो और बी. सारोगैरा समेत अन्य प्रतिनिधि मौजूद रहे।
ज्ञात हो की कुछ दिन पहले ही सैकड़ों की संख्या में अलगाववादियों ने आत्मसमर्पण किया था। असम के आठ प्रतिबंधित संगठनों से ताल्लुक रखने वाले कुल 644 उग्रवादियों ने असम के मुख्यमंत्री सबार्नंद सोनोवाल के समक्ष गुरुवार को आत्मसमर्पण किया था।
असम के मुख्य मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने इस मौके पर कहा की यह समझौता एक ऐतिहासिक समझौता हैं। उन्होंने कहा की यह संभव प्रधानमंत्री और अमित शाह के बड़ा सोच के बजह से संभव हुआ हैं. केंद्र सरकार देश में शांति और प्रगति चाहता हैं और इसी का नतीजा हैं की आज इस तरह का ऐतिहासिक समझौता संभव हुआ।
इस मौके पर असम के शिक्षामंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने कहा है कि नयी दिल्ली में सोमवार को हस्ताक्षरित ‘बोडो शांति समझौता’ दशकों पुराने बोडो मुद्दे के ‘‘पूर्ण एवं अंतिम’’ समाधान की ओर ले जाएगा। शर्मा ने कहा कि बोडो शांति समझौता को मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल नीत असम सरकार और बोडोलैंड टेरीटोरियल काउंसिल (बीटीसी) प्रमुख हाग्रामा मोहीलरी का पूरा समर्थन प्राप्त है, जो इसे दशकों पुराने बोडो मुद्दे को लेकर पूर्ण एवं अंतिम समाधान बनाता है।
इस समझौते के साथ ही करीब 50 साल से चला रहा बोडोलैंड विवाद समाप्त हो गया जिसमें अब तक 2823 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।
असम के चार जिलों कोकराझार, बाक्सा, उदालगुरी और चिरांग को मिलाकर बोडो टेरिटोरिअल एरिया डिस्ट्रिक का गठन किया गया है। ज्ञात हो की बोडो समुदाय के साथ यह तीसरा समझौता हैं पहला समझौता 20 फरबरी 1993 को और बना बोडो ऑटोनोमॉस कौंसिल, दूसरा 10 फरबरी 2010 को और बना बोडो टेरिटोरियल कौंसिल और तीसरा आज जो बोडो टेरीटोरियल रीजन के नाम से जाना जायेगा।
क्या हैं खास इस समझौते में
बीटीएडी अब बोडोलैंड टेरिटोरियल रीजन के रूप में जाना जाएगा। बीटीआर विधानसभा में मौजूदा 40 में से 60 सीटें होंगी। बीटीआर को अधिक विधायी, कार्यकारी और वित्तीय शक्ति दी जाएगी। बोडो भाषा पूरे असम राज्य की सहयोगी आधिकारिक भाषा बनेगा। उदालगुरी में एनआईटी की स्थापना की जाएगी। इस क्षेत्र में कई राष्ट्रीय संस्थानों के परिसर भी स्थापित किए जाएंगे। नॉन बोडो डोमिनेटेड गाओ का समावेश और बोडो डोमिनेटेड विलेज का समावेश होगा । उपेंद्र नाथ ब्रह्म के नाम पर बरमा में एक केंद्रीय विश्वविद्यालय स्थापित किया जाएगा बीटीआर के लिए विशेष औद्योगिक नीति होगा रेल्वे कोच फैक्ट्री बीटीआर क्षेत्र में स्थापित की जाएगी. बीटीआर प्राधिकरण के परामर्श से डीसी, एसपी की नियुक्ति की जाएगी ।बीटीआर में राष्ट्रीय खेल विश्वविद्यालय स्थापित किया जाएगा। बीटीआर क्षेत्रों के बाहर रहने वाले बोडो लोगों के लिए स्वायत्त कल्याण परिषद का गठन होगा । तामुलपुर में एक कैंसर अस्पताल और मेडिकल कॉलेज की स्थापना की जाएगी
।कुमारिकाटा में एक पशु चिकित्सा महाविद्यालय स्थापित किया जाएगा बीटीआर के लिए विशेष औद्योगिक नीति होगा।