देश के सांसदों ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर आईजी कल्लूरी के ख़िलाफ़ जांच की मांग

नई दिल्लीः छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाके बस्तर के पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) एसआरपी कल्लूरी के कार्यकाल के दौरान उनकी गतिविधियों की व्यापक जांच के लिए देश के 16 सांसदों ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पत्र लिखा है। सांसदों ने पत्र में क्षेत्र में शांति लाने के लिए एक उचित प्रक्रिया शुरू करने को भी कहा है।

कल्लूरी फिलहाल एसीबी और ईओडब्ल्यू के महानिरीक्षक हैं और राज्य में हुए पीडीएस घोटाले जैसे महत्वपूर्ण मामले की जांच कर रही एसआईटी के प्रमुख हैं। इस पत्र पर केरल, असम, तमिलनाडु और त्रिपुरा के सांसदों ने हस्ताक्षर किये हैं. इस पत्र में सांसदों ने लिखा है, ‘यह स्थिति 21वीं सदी के पहले दशक में चरम पर पहुंच गया, विशेष रूप से सलवा जुडूम अभियान के जरिए. इस अभियान के दौरान आदिवासियों के खिलाफ अत्याचार बढ़े, जहां सुरक्षाबलों और नक्सलियों ने आदिवासियों पर बेहिसाब अत्याचार किए.’
चिट्ठी लिखने वाले सांसदों में त्रिपुरा से भारतीय मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के सांसद जितेंद्र चौधरी, पश्चिम बंगाल से सासंद एमडी सलीम, केरल से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के सांसद पी करुणाकरण, केरल से ही सीपीआईएम सांसद एमबी राजेश, असम से असम यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) के सांसद राधेश्‍याम बिस्‍वास, लोकसभा में निर्दलीय सांसद जॉयस जॉर्ज और नब कुमार सरनिया, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की राज्यसभा झरना दास वैद्य आदि शामिल हैं। उल्लेखनीय है कि बस्तर के पूर्व डीजीपी एसआरपी कल्लूरी के खिलाफ सैकड़ों हत्या, बलात्कार, फर्जी मुठभेड़ की शिकायतें रही हैं। लेकिन इन शिकायतों पर कभी कार्रवाई नहीं हुई।

सांसदों ने यह भी कहा कि 2008 में यूपीए द्वारा गठित एक विशेषज्ञ समिति ने यह उल्लेख किया था कि बस्तर में पेसा अधिनियम, मनरेगा और वन अधिकार नियम (एफआरए) को लागू करना बहुत जरूरी है।

पत्र में कहा गया, ‘बड़ी परियोजनाओं के लिए और खनन कंपनियों को दी गई जमीनों के आवंटन पर दोबारा विचार करने, एफआरए के क्रियान्वयन के आकलन के लिए एक लोकतांत्रिक और पारदर्शी प्रक्रिया शुरू करने, फर्जी मुठभेड़ों, आत्मसमर्पण और कथित बलात्कार की घटनाओं के लिए सुरक्षा अधिकारियों को दंडित करने, लोकतांत्रिक तरीकों के जरिए शांति प्रक्रिया शुरू करने के लिए एक प्रक्रिया शुरू करने की जरूरत है ताकि राज्य और नक्सलियों के बीच चल रही समस्या का कोई स्थायी समाधान निकल सके। ’

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