टीबी एक आसान किन्तु मुश्किल बीमारी : डॉ मयंक सक्सेना

टीबी बीमारी के बारे में श्वसन संबंधी रोग पल्मोनोलॉजी, यथार्थ हॉस्पिटल के विभागाध्यक्ष डॉ मयंक सक्सेना से आइये जानते हैं

जी हां, टीबी एक आसान बीमारी है यह मात्र एक इंफेक्शन जिसका इलाज आम इंफेक्शन से ज्यादा चलता है। 6 महीने के दावा उपचार और सही खान पान से ये बीमारी पूरी तरह ठीक हो सकती है। टीबी को ला इलाज समझा जाता रहा है जो की एक मिथक है। आजकल आरएनटीसीपी और सरकार के सहयोग से टीबी का संपूर्ण इलाज बहुत कुशलता से किया जाता है और मरीज पूरी तरह ठीक हो जाता है।
क्या टीबी एक मुश्किल बीमारी?
जी हां, टीबी एक जानलेवा और मुश्किल बीमारी भी है। अगर उसका समय रहते इलाज ना किया जाए या इलाज में लापरवाही अथवा इलाज को बीच में छोड़ा जाए। मुश्किल टीबी जिसको एम डी आर टीबी भी बोला जाता है जिसमें प्रमुख दवाइयां बेअसर हो जाती है क्योंकि टीबी का जीवाणु दावा से प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर लेता है। ज्यादातर मामलों में एम डी आर आधा अधूरा इलाज की वजह से ही होती है। इस स्थिति में मरीज को कुछ अलग दावा चलती है और इसका इलाज दो साल तक भी चल सकता है।
टीबी के कुछ मिथक एवं सत्य
क्या दो हफ्ते से ज्यादा खांसी टीबी हो सकती है?
हां, दो हफ्ते से ज्यादा खांसी टीबी का संकेत है। आप इसको नजर अंदाज ना करें। इसके अलावा थूक में खून, लंबा बुखार, वजन का गिरना, भूख ना लगना इनमें से कोई भी लक्षण हो, तो आप नजदीकी डाक्टर या निकटतम स्वास्थ केंद्र से संपर्क करें।
क्या धूम्रपान से टीबी हो सकता है ?
हां, धूम्रपान करने से श्वास नली की प्रतिरोधक क्षमता पर असर पड़ता है और टीबी होने की संभावना बढ़ जाती है।
क्या मधुमेह रोग में टीबी होने पर अधिक सतर्कता रखनी चाहिए?
हां, शुगर अथवा मधुमेह अगर कंट्रोल नहीं है तो टीबी के इलाज में कठिनाई आती है।
क्या टीबी के रोगी को सरकार की तरफ से काफी सुविधा है ?
हां, टीबी के रोगी के लिए सरकार की तरफ से मुफ्त दवा एवं आर्थिक मदद भी दी जाती है। मरीज के इलाज की निगरानी के लिए टीबी ऑफिसर नियुक्त किया जाता है, जो हर मरीज के इलाज में होने वाली कठिनाई का समाधान करता है। महीने 500 रुपये सीधा मरीज के खाते में दिए जाते हैं। अगर आपको टीबी है तो अपने निकटतम डॉट्स केंद्र या अपने डाक्टर से संपर्क करें।
क्या सिर्फ खांसी करते समय मुख ढकने में टीबी को काफी हद तक रोका जा सकता है?
हां, जी हां अगर हम सब खांसी करते समय अपना मुख रुमाल या हाथ से ढक लें तो टीबी के विषाणु को काफी हद तक फैलने से रोका जा सकता है। इसके साथ ही बलगम को भी यहां वहां नहीं थूकना चाहिए।
क्या जुठा खाने से टीबी फैल सकती है?
नहीं, एक मिथक है। आमतौर पर लोग टीबी के रोगी के बर्तन अलग कर देते हैं, जिसका कोई औचित्य नहीं है। टीबी के रोगी को हर संभव सहयोग करें और उसको मानसिक रूप से मजबूती दें ताकि वो रोगी टीबी का इलाज पूरा करे और स्वस्थ हो जाए।
क्या टीबी रोग सिर्फ फेफड़े तक ही सीमित रहता है?
नहीं, टीबी का रोग शरीर के किसी भी अंग को प्रभावित कर सकता है। आमतौर पर फेफड़ों की टीबी के अलावा गिल्टी टीबी, दिमागी टीबी, आंतो की टीबी, रीढ़ की हड्डी, फेफड़ों में पानी भरना इत्यादि हो सकता है। जल्दी निदान और इलाज से कहीं की भी टीबी पूरी तरह ठीक हो सकती है।
क्या हम सब मिलकर टीबी को हरा और मिटा सकते हैं?
जी हां, बिल्कुल मिलकर प्रयास करने से अगर हम पोलियो जैसे रोग से छुटकारा पा सकते हैं। तो टीबी से क्यों नहीं। सही समय पर पूरा इलाज और खांसी करते समय विशेष सावधानी रखकर हम टीबी को परास्त कर सकते हैं। तो आएं हम सब प्रण ले की आज से हम टीबी के रोग को मिटाने के लिए अपनी हर संभव प्रयास करेंगे।

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