सरकार के आश्वासन के बाद 7 दिनों से चल रहा आदिवासियों का आंदोलन खत्म
दंतेवाड़ा। देव पहाड़ी नंदराज को बचाने के लिए सरकार से संघर्ष कर रहे आदिवासियों का आंदोलन आज 7वें दिन खत्म हो गया। सरकार द्वारा उनकी मांगें मानने के बाद सरपंच संघ समीति के सदस्यों ने आंदोलन खत्म करने का निर्णय लिया गया और अब आदिवासी अपने गांव लौटने लगे हैं। संघर्ष समिति के अध्यक्ष नंदा कुंजाम ने 10:43 मिनट पर आंदोलन स्थगन की घोषणा कर दी है। जिसके बाद NMDC प्रोजेक्ट में काम शुरू हो गया। प्रथम पाली वाले कर्मचारियों के लिए प्रबंधन ने बस की व्यवस्था की। दंतेवाड़ा के किरंदुल में NMDC के चेकपोस्ट के सामने 7 जून से आदिवासी धरना देकर आंदोलन कर रहे थे।
11 जून को ही राज्य सरकार द्वारा नंदराज पहाड़ी डिपॉजिट 13 प्रोजेक्ट पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने का निर्देश जारी कर दिया गया था। इसके साथ ही फर्जी ग्राम सभा होने के आरोप की भी जांच के निर्देश सरकार द्वारा दे दिए थे, लेकिन आंदोलन कर रहे आदिवासी डिपॉजिट 13 पर खनन की अनुमति को लेकर जारी लीज को ही समाप्त करने की मांग पर अड़े थे। इसके बाद बुधवार की शाम को प्रशासन सख्ती के मूड में नजर आया और उसने धरना स्थल को खाली करने का नोटिस जारी कर दिया। इसके बाद भी रात भर प्रदर्शन जारी रहा, लेकिन आज (गुरुवार) सुबह उसे समाप्त करने का निर्णय ले लिया गया है।
ग्राम सभा की जांच की समय सीमा 15 दिन तय करने के बाद संघर्ष समिति में आंदोलन समाप्त करने के लिए आम राय बनी। इसके बाद आंदोलन समाप्त करने का निर्णय हुआ। 7 जून से जारी आंदोलन समाप्त होने के बाद आज से एनएमडीसी में लौह अयस्क उत्पादन फिर से शुरू हो गया। आंदोलन के चलते उत्पादन ठप था।
आदिवासी बैलाडीला के नंदग्राम पहाड़ी पर खनन की अनुमति का विरोध कर रहे थे। आदिवासियों का मानना है कि नंदग्राम पहाड़ की पूजा वे अपने कुलदेव नंदराज के रूप में करते हैं, इसलिए वे उस पहाड़ की खुदाई होने नहीं दे सकते हैं। संयुक्त पंचायत जन संघर्ष समिति के मंगल कुंजाम ने बताया कि दंतेवाड़ा, सुकमा और बीजापुर ज़िला सहित पड़ोसी राज्य ओडिशा और महाराष्ट्र के हज़ारों आदिवासी के देवताओं का घर नंदराज पर्वत है और यह आदिवासियों की आस्था से जुड़ा हुआ सवाल है। यही वजह है कि आदिवासी नंदराज पर्वत की खुदाई का सख्त विरोध कर रहे हैं। बतातें चलें कि इस नंदग्राम (नंदराज) पहाड़ी की खुदाई का ठेका अडानी समूह की कंपनी को दिया गया है।